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मोदी ने सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर ख़त्म किया आरक्षण- राहुल गाँधी

 30 Apr 2024

राहुल गाँधी ने कहा कि केंद्र में उनकी सरकार बनते ही ‘न्याय-घोषणापत्र’ के तहत आरक्षण की 50 फ़ीसद सीमा को हटा दिया जायेगा, ताकि गरीबों और शोषितों को उनका हक़ मिल सके। उन्होंने भाजपा पर तीख़ा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा संविधान को बदलकर वंचितों को मिले आरक्षण को हटा देना चाहती है। सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का सीधा मतलब आरक्षण ख़त्म करना है जो मोदी सरकार ने बड़े पैमाने पर किया है!



भाजपा ने आरक्षण को ख़त्म करने का काम किया है


चुनावी सरगर्मियों के बीच राहुल गाँधी लोगों के मुद्दों को अपनी चुनावी रैलियों में उठाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ रहे हैं।चुनावी रैलियों में राहुल गाँधी लगातार भाजपा से लोगों के मुद्दों पर तीखे सवाल भी पूछ रहे हैं। सोमवार को छत्तीसगढ़ की चुनावी रैली में राहुल गाँधी ने कहा कि सत्ता में आने के बाद आरक्षण की 50 फ़ीसद सीमा को ख़त्म कर दिया जायेगा, ताकि दलित, पिछड़ों, महिलाओं और अल्पसंख्यंकों को उनका हक़ मिल सके।


राहुल गाँधी ने एक बार फिर लोगों को याद दिलाया है कि लोकसभा का यह चुनाव कोई आम चुनाव नहीं है, बल्कि यह चुनाव संविधान की रक्षा के लिए लड़ा जाने वाला चुनाव है। राहुल गाँधी ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला बोलते हुए कहा कि ये दोनों भारत के संविधान को नष्ट करना चाहते हैं। भाजपा संविधान को बदलकर वंचितों को मिले आरक्षण को संविधान में से हटा देगी। इसलिए लोकसभा का यह चुनाव लोकतंत्र, संविधान, आरक्षण और गरीबों के हक़ के लिए लड़ा जाने वाला चुनाव है।


राहुल गाँधी ने कहा कि भारत के संविधान को पीएम मोदी तो क्या, दुनिया की कोई भी ताक़त रद्द नहीं कर सकती है। भाजपा कहती है कि वे आरक्षण के ख़िलाफ़ नहीं है लेकिन जब वो सार्वजानिक क्षेत्रों का निजीकरण करती है तब आरक्षण को ख़त्म कर देती है। इसके अलावा सरकार में ठेकेदारी प्रथा को लाकर आरक्षण को ख़त्म किया जाता है। राहुल गाँधी ने अग्निवीर योजना पर भाजपा को घेरा और कहा कि भाजपा ने इस योजना से आरक्षण को ख़त्म करने का काम किया है।



अभी क्या है देश में आरक्षण की स्थिति?


भारत में आरक्षण की जो वर्तमान स्थिति है उसमें ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को 27 फ़ीसद, एससी (अनुसूचित जाति ) को 15 फ़ीसद, एसटी (अनुसूचित जनजाति) को 7.5 फ़ीसद, और सामान्य वर्गों के गरीबों (ईडब्लूएस) को 10 फ़ीसद आरक्षण दिया गया है।इन सभी को मिलाकर आरक्षण का पूरा दायरा 59.5 फ़ीसद हो गया है। साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में आरक्षण की कुल सीमा को 50 फ़ीसद तक रखने की बात कही थी।लेकिन भाजपा की केंद्र सरकार सरकार ने पहले ही 2019 में सामान्य वर्गों के गरीबों को 10 फ़ीसद आरक्षण देकर आरक्षण के दायरे को 49.5 फ़ीसद से बढ़ाकर 59.5 फ़ीसद तक कर दिया है।

इसके अलावा कई ऐसे राज्य हैं जहाँ आरक्षण का दायरा 50 फ़ीसद से अधिक हो गया है। तमिलनाडु में आरक्षण का दायरा 69 फ़ीसद, महाराष्ट्र में 62 फ़ीसद है। जबकि मध्य-प्रदेश की सरकार सरकारी भर्ती में 73 फ़ीसद आरक्षण लागू कर चुकी है।